Class 12 Hindi Chapter 1 Question Answer
परिचय
‘आत्म-परिचय, एक गीत’ एक आत्मकथात्मक कविता है जिसमें कवि ने अपने जीवन के अनुभवों, संघर्षों और आत्मबोध को सरल लेकिन गहन शब्दों में प्रस्तुत किया है। यह कविता आत्मनिरीक्षण, संवेदना और आत्मबल का प्रतीक है।
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पाठ्यपुस्तक के सभी प्रश्नों के उत्तर
कविता के साथ
प्रश्न 1: कविता एक ओर जगजीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर ‘मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ’ – विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय है?
👉 कवि जीवन को जगत का भार मानते हैं जिसे वह स्वयं वहन करते हैं, परंतु वह संसार की गतिविधियों में रुचि नहीं लेते। यह विरोधाभास कवि के आत्मकेंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रश्न 2: ‘जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
👉 यह पंक्ति समाज की विविधता को दर्शाती है। जहाँ ज्ञानी होते हैं, वहीं अज्ञानी भी होते हैं — यही जीवन का यथार्थ है।
प्रश्न 3: ‘मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’ – पंक्ति में ‘और’ शब्द की विशेषता बताइए।
👉 ‘और’ शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है, हर बार अलग अर्थ में — भिन्नता, दूरी और असंबंधता को दर्शाने के लिए। यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण भी है।
प्रश्न 4: ‘शीतल वाणी में आग’ के होने का क्या अभिप्राय है?
👉 कवि की वाणी भले ही शांत हो, पर उसमें जीवन के संघर्षों की तीव्रता छिपी है। यह विरोधाभास अलंकार का उदाहरण है।
प्रश्न 5: बच्चे किस बात की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे?
👉 बच्चे अपने माता-पिता की प्रतीक्षा में, भोजन और स्नेह की आशा में नीड़ों से झाँक रहे होंगे।
प्रश्न 6: ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है?
👉 यह पंक्ति जीवन की क्षणभंगुरता और समय के तीव्र प्रवाह को दर्शाती है। इससे कवि की चिंता और आत्मबोध की गहराई प्रकट होती है।
कविता के आसपास
प्रश्न 1: संसार में कष्टों को सहते हुए भी खुशी और मस्ती का माहौल कैसे पैदा किया जा सकता है?
👉 आत्मबल, सकारात्मक सोच और रचनात्मक दृष्टिकोण से व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी आनंद और उत्साह बनाए रख सकता है।
आपसदारी
प्रश्न 1: जयशंकर प्रसाद की आत्मकथ्य कविता की कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। क्या पाठ में दी गई आत्म-परिचय कविता से इस कविता का आपको कोई संबंध दिखाई देता है? चर्चा करें।
👉 दोनों कविताएँ आत्मकथात्मक शैली में हैं। जयशंकर प्रसाद की कविता में आत्मकथा को छिपाने की प्रवृत्ति है, जबकि बच्चन जी की कविता में आत्मबोध को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया है। दोनों कविताएँ जीवन के अनुभवों और भावनाओं की गहराई को दर्शाती हैं।
अतिरिक्त अभ्यास (व्याकरण और विश्लेषण)
- अलंकार:
- विरोधाभास: ‘शीतल वाणी में आग’
- अनुप्रास: ‘मैं और, और जग और’
- भावार्थ: कविता आत्मबोध, आत्मसंघर्ष और आत्मस्वीकृति की ओर प्रेरित करती है। यह जीवन की सच्चाई को स्वीकारने और उसे समझने की प्रक्रिया है।
- शब्दार्थ:
- नीड़: पक्षियों का घोंसला
- सत्त्व: आत्मबल या शक्ति
- नादान: अज्ञानी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. आत्म-परिचय कविता का मुख्य भाव क्या है?
👉 आत्मबोध, आत्मसंघर्ष और आत्मस्वीकृति।
Q2. कवि ने ‘मैं और, और जग और’ क्यों कहा?
👉 यह पंक्ति कवि और संसार के बीच की दूरी को दर्शाती है।
Q3. ‘शीतल वाणी में आग’ किस अलंकार का उदाहरण है?
👉 विरोधाभास अलंकार।
Q4. कविता किस शैली में लिखी गई है?
👉 आत्मकथात्मक शैली।
Q5. यह कविता किस कवि द्वारा रचित है?
👉 हरिवंश राय बच्चन।
निष्कर्ष | Class 12 Hindi Chapter 1 Question Answer
‘आत्म-परिचय, एक गीत’ केवल एक कविता नहीं, बल्कि आत्मा की आवाज़ है। यह पाठ विद्यार्थियों को आत्मनिरीक्षण, संवेदना और आत्मबल की ओर प्रेरित करता है। EaseEdu पर हम ऐसे ही सरल, स्पष्ट और परीक्षा-केंद्रित नोट्स प्रदान करते हैं ताकि हर छात्र आत्मविश्वास से आगे बढ़ सके।