Class 10th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation

Class 10th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation

NCERT कक्षा 10 संस्कृत की पुस्तक शेमुषी भाग-2 का पाँचवाँ अध्याय “सुभाषितानि” एक संग्रह है दस प्रेरणादायक श्लोकों का, जो विभिन्न ग्रंथों से लिए गए हैं। ये श्लोक जीवन के नैतिक मूल्यों, आत्मनियंत्रण, परिश्रम, मैत्री, और व्यवहार कुशलता जैसे विषयों पर प्रकाश डालते हैं। यह अध्याय छात्रों को न केवल संस्कृत भाषा की समझ देता है, बल्कि उन्हें जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है।

Class 10th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation| अध्याय 5: सुभाषितानि

(NCERT आधारित पूर्ण हिंदी अनुवाद)

श्लोक 1

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति॥

हिंदी अनुवाद: आलस्य मनुष्यों के लिए शरीर में स्थित एक बड़ा शत्रु है। परिश्रम के समान कोई मित्र नहीं है, जिसे अपनाकर मनुष्य कभी दुखी नहीं होता।

श्लोक 2

गुणी गुणं वेत्ति न वेत्ति निर्गुणो गुणं परं वाऽप्यगुणः प्रगुण्यं। गुणज्ञता ह्येष गुणेषु पुंसां पश्वादपि ग्राह्यतमं गुणं यत्॥

हिंदी अनुवाद: गुणी व्यक्ति दूसरों के गुणों को पहचानता है, जबकि निर्गुण व्यक्ति गुणों को भी नहीं समझ पाता। गुणों की पहचान करना मनुष्य का श्रेष्ठ गुण है, और यह गुण पशु में भी हो तो उसे भी अपनाना चाहिए।

श्लोक 3

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः। न चापि कुपितो लोको लोकस्य प्रियमिच्छति॥

हिंदी अनुवाद: जैसे सोए हुए सिंह के मुख में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करते, वैसे ही जो पुरुष क्रोधित रहता है, वह लोगों का प्रिय नहीं बन सकता।

श्लोक 4

न हि सुवर्णमाल्येन ग्रन्थिना वा विभूषितः। शोभते निर्गुणः पुरुषः काष्ठलोष्टसमः सदा॥

हिंदी अनुवाद: जो व्यक्ति गुणहीन होता है, वह चाहे सोने के आभूषणों से सुसज्जित हो या सुंदर वस्त्र पहने हो, फिर भी वह सदा लकड़ी और मिट्टी के समान ही होता है।

श्लोक 5

न हि कश्चिदनायस्तः कश्चिदाचरितोऽपि च। यशः प्राप्नोति लोकेऽस्मिन्यथैवाम्भः प्रवाहतः॥

हिंदी अनुवाद: जैसे जल का प्रवाह बिना प्रयास के नहीं होता, वैसे ही इस संसार में कोई भी व्यक्ति बिना परिश्रम और बिना आचरण के यश प्राप्त नहीं कर सकता।

श्लोक 6

न हि दुष्करमस्त्येतद् यत्साधयितुमिच्छति। न हि किञ्चिदसाध्यं लोके साधनवतां मतम्॥

हिंदी अनुवाद: जो व्यक्ति किसी कार्य को सिद्ध करने की इच्छा रखता है, उसके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं होता। इस संसार में साधनों से युक्त लोगों के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है।

श्लोक 7

न हि किञ्चिदनर्थं स्यात् सतां वाक्यं मनस्विनाम्। येन वाऽप्युपकृत्यैव वाक्यं स्यात् तदपि श्रुतम्॥

हिंदी अनुवाद: महान और सदाचारी लोगों की कोई भी बात व्यर्थ नहीं होती। यदि वह बात किसी भी प्रकार से उपकार में सहायक हो सकती है, तो वह भी श्रवणीय होती है।

श्लोक 8

न हि सन्तः परार्थेन स्वार्थं त्यक्त्वा भवन्ति ये। तेषां यशः स्थिरं लोके तद्वद्भिः पूज्यते सदा॥

हिंदी अनुवाद: जो सज्जन लोग दूसरों के हित के लिए अपने स्वार्थ का त्याग करते हैं, उनका यश इस संसार में स्थायी होता है और वे सदा पूजनीय होते हैं।

श्लोक 9

न हि सन्तः परद्रव्ये स्पृहां कुर्वन्ति कर्हिचित्। तेषां चित्तं सदा शुद्धं सतां धर्मः सनातनः॥

हिंदी अनुवाद: सज्जन लोग कभी भी दूसरों की संपत्ति की इच्छा नहीं करते। उनका मन सदा शुद्ध होता है और उनका धर्म सनातन होता है।

श्लोक 10

न हि सन्तः पराभावं चिन्तयन्ति कदाचन। तेषां हि सहनं धर्मः सतां धर्मो हि लक्षणम्॥

हिंदी अनुवाद: सज्जन लोग कभी भी दूसरों के अपमान की चिंता नहीं करते। उनके लिए सहनशीलता ही धर्म है और यही सज्जनों का लक्षण है।

Class 10 Sanskrit में टॉप मार्क्स लाने के लिए गाइड

  1. श्लोकों का अर्थ समझें, रटें नहीं: हर श्लोक का अन्वय (शब्दों का क्रम) और सरलार्थ (हिंदी अर्थ) समझें। इससे याद करना आसान होगा।
  2. व्याकरण पर पकड़ बनाएं: संधि, समास, कारक, धातु रूप, लकार (लट्, लृट्, लोट् आदि) और उपसर्ग-प्रत्यय पर विशेष ध्यान दें।
  3. NCERT के प्रश्नों का अभ्यास करें: पाठ्यपुस्तक के अंत में दिए गए बहुविकल्पीय प्रश्न, लघु उत्तर, और दीर्घ उत्तर प्रश्नों का नियमित अभ्यास करें।
  4. प्रत्येक श्लोक के पीछे की सीख को समझें: इससे उत्तर लिखते समय आप उदाहरण और भाव स्पष्ट रूप से व्यक्त कर पाएंगे।
  5. रोज़ 15 मिनट संस्कृत पढ़ें: नियमित अभ्यास से भाषा में आत्मविश्वास बढ़ेगा।

महत्वपूर्ण व्याकरण बिंदु (Important Grammar Topics)

  • संधि: स्वर संधि, व्यंजन संधि, विसर्ग संधि
  • समास: द्वंद्व, तत्पुरुष, बहुव्रीहि, कर्मधारय
  • लकार: लट् (वर्तमान), लृट् (भविष्यत्), लोट् (आज्ञा)
  • धातु रूप: √गम् (जाना), √पठ् (पढ़ना), √कृ (करना)
  • शब्द रूप: राम, सीता, फल, बालक, नदी आदि के रूप

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FAQs: Class 10 Sanskrit Chapter 5

Q1: सुभाषितानि का क्या अर्थ है?

A: सुभाषितानि का अर्थ है—सुंदर, नीति से युक्त वचन। ये श्लोक जीवन के लिए प्रेरणादायक होते हैं।

Q2: क्या केवल अनुवाद याद करना काफी है?

A: नहीं। अनुवाद के साथ श्लोक का भाव, व्याकरण और शब्दार्थ भी समझना ज़रूरी है।

Q3: Class 10 Sanskrit में अच्छे अंक कैसे लाएं?

A: नियमित अभ्यास करें, श्लोकों का अर्थ समझें, व्याकरण मजबूत करें और NCERT के प्रश्नों को हल करें।

Q4: क्या सुभाषितानि से बोर्ड परीक्षा में प्रश्न आते हैं?

A: हाँ, यह अध्याय परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है। श्लोकों का अर्थ, शब्दार्थ और व्याख्या ज़रूरी है।

निष्कर्ष (Conclusion)

Class 10th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation “सुभाषितानि” न केवल परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह छात्रों को जीवन के मूल्यों की गहराई से समझ भी देता है। यदि आप श्लोकों को समझकर पढ़ते हैं, व्याकरण पर ध्यान देते हैं और नियमित अभ्यास करते हैं, तो संस्कृत में अच्छे अंक लाना बिल्कुल संभव है।