Class 10 Sanskrit Chapter 9 Hindi Translation

Class 10 Sanskrit Chapter 9 Hindi Translation

यह पाठ 2001 और 2005 में आए भयंकर भूकम्पों की विभीषिका को दर्शाता है। इसमें गुजरात के कच्छ क्षेत्र और कश्मीर-पाकिस्तान में आए भूकम्पों की तबाही का वर्णन है। लेखक ने प्राकृतिक आपदा के कारण हुए विनाश, वैज्ञानिक कारणों और ज्वालामुखी विस्फोटों से उत्पन्न भूकम्प की जानकारी दी है। यह पाठ छात्रों को प्रकृति की शक्ति और मानव की सीमाओं को समझाने में मदद करता है।

easeedu (trusted partner for school & coaching)

Class 10 Sanskrit Chapter 9 Hindi Translation

संस्कृत वाक्य सरल हिन्दी अनुवाद
एकोत्तरद्विसहस्रतमेीष्टाब्दे (2001 ईस्वीये वर्षे) गणतन्त्र-दिवस-पर्वणि यदा समग्रमपि भारतराष्ट्रं नृत्य-गीतवादित्राणाम्‌ उल्लासे मग्नमासीत्‌ तदाकस्मादेव गुर्जर-राज्यं पर्याकुलं, विपर्यस्तम्‌, क्रन्दनविकलं विपन्नञ्च जातम्‌। 26 जनवरी 2001 को जब पूरा भारत गणतंत्र दिवस की खुशी में नाच-गाने में डूबा था, तभी अचानक गुजरात राज्य में हाहाकार मच गया—हर तरफ अफरा-तफरी, रोना-चिल्लाना और तबाही फैल गई।
भूकम्पस्य दारुणविभीषिका समस्तमपि गुर्जरक्षेत्रं विशेषेण च कच्छजनपदं ध्वंसावशेषेषु परिवर्तितवती। भूकम्प की भयानक तबाही ने पूरे गुजरात को, खासकर कच्छ जिले को खंडहरों में बदल दिया।
भूकम्पस्य केन्द्रभूतं भुजनगरं तु मृत्तिकाक्रीडनकमिव खण्डखण्डम्‌ जातम्‌। भूकम्प का केन्द्र रहा भुज शहर मिट्टी के खिलौने की तरह टूटकर बिखर गया।
बहुभूमानि भवनानि क्षणेनैव धराशायीनि जातानि। ऊँची-ऊँची इमारतें पल भर में ही गिर गईं।
उत्खाता विद्युद्दीपस्तम्भा:। बिजली के खंभे उखड़ गए।
विशीर्णा: गृहसोपानमार्गा:। घरों की सीढ़ियाँ और रास्ते टूटकर बिखर गए।
फालद्वये विभक्ता भूमि:। धरती दो हिस्सों में फट गई।
भूमिगर्भादुपरि निस्सरन्तीभि: दुर्वार-जलधाराभि: महाप्लावनदृश्यम्‌ उपस्थितम्‌। धरती के अंदर से निकली तेज़ पानी की धाराओं ने बाढ़ जैसा दृश्य बना दिया।
सहस्रमिता: प्राणिनस्तु क्षणेनैव मृता:। हजारों लोग एक ही पल में मर गए।
ध्वस्तभवनेषु सम्पीडिता: सहस्रशोऽन्ये सहायतार्थं करुणकरुणं क्रन्दन्ति स्म। टूटे हुए मकानों में दबे हजारों लोग मदद के लिए दर्द से रो रहे थे।
हा दैव! क्षुत्क्षामकण्ठा: मृतप्राया: केचन शिशवस्तु ईश्वरकृपया एव द्वित्राणि दिनानि जीवनं धारितवन्त:। कुछ भूखे-प्यासे बच्चे जो लगभग मर चुके थे, भगवान की कृपा से दो-तीन दिन तक जीवित रहे।
इयमासीत्‌ भैरवविभीषिका कच्छ-भूकम्पस्य। यह था कच्छ भूकम्प का डरावना दृश्य।
पञ्चोत्तर-द्विसहस्रतमे ]ीष्टाब्दे (2005 ईस्वीये वर्षे) अपि कश्मीर-प्रान्ते पाकिस्तान-देशे च धराया: महत्कम्पनं जातम्‌। 2005 में भी कश्मीर और पाकिस्तान में ज़ोरदार भूकम्प आया।
यस्मात्कारणात्‌ लक्षपरिमिता: जना: अकालकालं कवलिता:। जिससे लाखों लोग समय से पहले ही मर गए।
पृथ्वी कस्मात्प्रकम्पते इति विषये वैज्ञानिका: कथयन्ति यत्‌ पृथिव्या अन्तर्गर्भे विद्यमाना: बृहत्य: पाषाण- शिला: यदा संघर्षणवशात्‌ त्रुट्‌यन्ति तदा जायते भीषणं संस्खलनम्‌, संस्खलनजन्यं कम्पनञ्च। वैज्ञानिक बताते हैं कि धरती के अंदर बड़ी-बड़ी चट्टानें जब आपस में टकराकर टूटती हैं, तब भूकम्प पैदा होता है।
तदैव भयावहकम्पनं धराया: उपरितलमप्यागत्य महाकम्पनं जनयति येन महाविनाशदृश्यं समुत्पद्यते। यही कंपन धरती की सतह तक पहुँचकर बड़ा भूकम्प बन जाता है जिससे भारी तबाही होती है।
ज्वालामुखपर्वतानां विस्फोटैरपि भूकम्पो जायत इति कथयन्ति भूकम्पविशेषज्ञा:। भूकम्प विशेषज्ञ कहते हैं कि ज्वालामुखी के फटने से भी भूकम्प आता है।
पृथिव्या: गर्भे विद्यमानोऽग्निर्यदा खनिजमृत्तिकाशिलादिसञ्चयं क्वथयति तदा तत्सर्वमेव लावारसताम्‌ उपेत्य दुर्वारगत्या धरां पर्वतं वा विदार्य बहिर्निष्क्रामति। धरती के अंदर की आग जब खनिजों और पत्थरों को उबालती है, तब वह लावा बनकर ज़ोर से बाहर निकलती है।
धूमभस्मावृतं जायते तदा गगनम्‌। तब पूरा आसमान धुएँ और राख से भर जाता है।
सेल्सियश-ताप-मात्राया अष्टशताङ्कतामुपगतोऽयं लावारसो यदा नदीवेगेन प्रवहति तदा पार्श्वस्थग्रामा नगराणि वा तदुदरे क्षणेनैव समाविशन्ति। जब यह लावा 800°C तापमान पर नदी की तरह बहता है, तो पास के गाँव और शहर पल भर में उसमें समा जाते हैं।
निहन्यन्ते च विवशा: प्राणिन:। और बेबस जीव मारे जाते हैं।
ज्वालामुदिर्ग न्त एते पर्वता अपि भीषणं भूकम्पं जनयन्ति। ज्वालाएँ उगलते ये पहाड़ भी भयंकर भूकम्प पैदा करते हैं।
यद्यपि दैव: प्रकोपो भूकम्पो नाम, तस्योपशमनस्य न कोऽपि स्थिरोपायो दृश्यते। भूकम्प एक प्राकृतिक आपदा है, इसका कोई पक्का इलाज नहीं है।
प्रकृतिसमक्षमद्यापि विज्ञानगर्वितो मानव: वामनकल्प एव, तथापि भूकम्परहस्यज्ञा: कथयन्ति यत्‌ बहुभूमिकभवननिर्माणं न करणीयम्‌। प्रकृति के सामने आज भी विज्ञान से घमण्डी इंसान छोटा ही है, इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि बहुत ऊँची इमारतें नहीं बनानी चाहिए।
तटबन्धं निर्माय बृहन्मात्रं नदीजलमपि नैकस्मिन्‌ स्थले पुञ्जीकरणीयम्‌ अन्यथा असन्तुलनवशाद्‌ भूकम्पस्सम्भवति। बाँध बनाकर बहुत सारा पानी एक ही जगह इकट्ठा नहीं करना चाहिए, वरना असंतुलन से भूकम्प आ सकता है।
वस्तुत: शान्तानि एव पञ्चतत्त्वानि क्षितिजलपावकसमीरगगनानि भूतलस्य योगक्षेमाभ्यां कल्पन्ते। सच में, पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ये पाँच तत्व शान्त हों तो धरती का भला होता है।
अशान्तानि खलु तान्येव महाविनाशम्‌ उपस्थापयन्ति। लेकिन जब यही तत्व अशान्त हो जाते हैं, तो बड़ी तबाही लाते हैं।

व्याकरणिक विश्लेषण (Grammar Notes)

शब्द व्याकरण अर्थ
एकोत्तरद्विसहस्रतमे विशेषण 2001वें वर्ष में
पर्वणि सप्तमी विभक्ति पर्व के समय
विपन्नम् विशेषण संकट में पड़ा
ध्वंसावशेषेषु सप्तमी बहुवचन विनाश के बाद बचे अवशेषों में
मृत्तिकाक्रीडनकमिव उपमा मिट्टी के खिलौने की तरह
सहस्रमिता: संख्यावाचक हजारों की संख्या में
त्रुट्यन्ति क्रिया टूटती हैं
उपगतोऽयं संयोजन यह प्राप्त हुआ

FAQs : Class 10 Sanskrit Chapter 9 Hindi Translation

प्रश्न 1: इस पाठ में किस प्राकृतिक आपदा का वर्णन है?

उत्तर: इस पाठ में भूकम्प की विभीषिका का वर्णन है।

प्रश्न 2: भुज नगर का क्या हाल हुआ था?

उत्तर: भुज नगर मिट्टी के खिलौने की तरह टूटकर खण्ड-खण्ड हो गया था।

प्रश्न 3: वैज्ञानिकों के अनुसार भूकम्प क्यों आता है?

उत्तर: पृथ्वी के अंदर की चट्टानें जब आपस में टकराकर टूटती हैं, तब भूकम्प आता है।

प्रश्न 4: ज्वालामुखी विस्फोट से क्या होता है?

उत्तर: ज्वालामुखी विस्फोट से लावा बाहर निकलता है और भूकम्प भी उत्पन्न हो सकता है।

प्रश्न 5: मनुष्य की स्थिति प्रकृति के सामने कैसी है?

उत्तर: मनुष्य आज भी प्रकृति के सामने बौने जैसा है।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न (Exam-Oriented Questions)

  1. भूकम्प के समय गुजरात राज्य में क्या स्थिति उत्पन्न हुई?
  2. कच्छ भूकम्प की विभीषिका का वर्णन कीजिए।
  3. भूकम्प के वैज्ञानिक कारण क्या हैं?
  4. ज्वालामुखी विस्फोट से भूकम्प कैसे उत्पन्न होता है?
  5. पाठ में वर्णित प्राकृतिक तत्त्वों की भूमिका क्या है?
  6. भूकम्प के समय बच्चों की स्थिति कैसी थी?
  7. पृथ्वी के अंदर की आग किस प्रकार लावा बनकर बाहर आती है?

निष्कर्ष (Conclusion)

यह पाठ हमें सिखाता है कि प्रकृति की शक्तियाँ बहुत विशाल और अनियंत्रणीय होती हैं। भूकम्प जैसी आपदाएँ मानव जीवन को क्षण भर में बदल सकती हैं। वैज्ञानिक कारणों को समझना और सतर्क रहना ही इसका समाधान है। छात्रों को यह पाठ न केवल भाषा की समझ देता है, बल्कि संवेदनशीलता और जागरूकता भी बढ़ाता है।