class 10 sanskrit chapter 4 hindi translation | जननी तुल्यवत्सला
NCERT आधारित सरल हिन्दी अनुवाद, व्याख्या और अभ्यास
यह पाठ एक भावनात्मक कथा है जिसमें एक दुर्बल बैल की पीड़ा और उसकी माता सुरभि की करुणा को दर्शाया गया है। किसान द्वारा खेत जोतते समय एक कमजोर बैल को पीड़ा दी जाती है। सुरभि, जो सभी गायों की माता है, अपने पुत्र की दीन अवस्था देखकर दुखी होती है। देवताओं के राजा इन्द्र से संवाद के माध्यम से यह पाठ मातृत्व की संवेदना और वात्सल्य को उजागर करता है।
class 10 sanskrit chapter 4 hindi translation:संस्कृत वाक्य और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत वाक्य | हिन्दी अनुवाद |
---|---|
कश्चित् कृषक: बलीवर्दाभ्यां क्षेत्रकर्षणं कुर्वन्नासीत्। | एक किसान बैलों की सहायता से खेत जोत रहा था। |
तयो: बलीवर्दयो: एक: शरीरेण दुर्बल: जवेन गन्तुमशक्तश्चासीत्। | उन दोनों बैलों में से एक शरीर से दुर्बल और तेज़ी से चलने में असमर्थ था। |
अत: कृषक: तं दुर्बलं वृषभं तोदनेन नुदन् अवर्तत। | इसलिए किसान उस दुर्बल बैल को हांकने के लिए बार-बार कष्ट देने लगा। |
स: ऋषभ: हलमूढ्वा गन्तुमशक्त: क्षेत्रे पपात। | वह बैल हल को उठाकर चलने में असमर्थ होकर खेत में गिर गया। |
क्रुद्ध: कृषीवल: तमुत्थापयितुं बहुवारम् यत्नमकरोत्। | क्रोधित किसान ने उसे उठाने के लिए कई बार प्रयास किया। |
तथापि वृष: नोत्थित:। | फिर भी वह बैल नहीं उठा। |
भूमौ पतितं स्वपुत्रं दृष्ट्वा सर्वधेनूनां मातु: सुरभे: नेत्राभ्यामश्रूणि आविरासन्। | भूमि पर गिरे अपने पुत्र को देखकर गायों की माता सुरभि की आँखों से आँसू निकल आए। |
सुरभेरिमामवस्थां दृष्ट्वा सुराधिप: तामपृच्छत्-“अयि शुभे! किमेवं रोदिषि? उच्यताम्” इति। | सुरभि की इस अवस्था को देखकर इन्द्र ने पूछा – “हे शुभे! तुम क्यों रो रही हो? बताओ।” |
सा च विनिपातो न व: कश्चिद् दृश्यते त्रिदशाधिप!। | हे देवाधिपति! कोई भी उसकी सहायता करता नहीं दिख रहा है। |
अहं तु पुत्रं शोचामि, तेन रोदिमि कौशिक!॥ | मैं अपने पुत्र की दीन अवस्था पर शोक कर रही हूँ, इसलिए रो रही हूँ। |
“भो वासव! पुत्रस्य दैन्यं दृष्ट्वा अहं रोदिमि। | हे इन्द्र! पुत्र की दीनता देखकर मैं रो रही हूँ। |
स: दीन इति जानन्नपि कृषक: तं बहुधा पीडयति। | वह लाचार है, यह जानते हुए भी किसान उसे बार-बार पीड़ा देता है। |
स: कृच्छ्रेण भारमुद्वहति। | वह कठिनाई से भार उठाता है। |
इतरमिव धुरं वोढुं स: न शक्नोति। | वह दूसरे बैल की तरह जुए का भार उठाने में सक्षम नहीं है। |
एतत् भवान् पश्यति न?” इति प्रत्यवोचत्। | क्या आप यह नहीं देख रहे हैं?” ऐसा उत्तर दिया। |
“भद्रे! नूनम्। सहस्राधिकेषु पुत्रेषु सत्स्वपि तव अस्मिन्नेव एतादृशं वात्सल्यं कथम्?” | “हे शुभे! हजारों पुत्रों में भी तुम्हारा ऐसा विशेष प्रेम इसी में क्यों है?” |
इति इन्द्रेण पृष्टा सुरभि: प्रत्यवोचत् – यदि पुत्रसहस्रं मे वात्सल्यं सर्वत्र सममेव मे। | इन्द्र द्वारा पूछे जाने पर सुरभि ने उत्तर दिया – “मेरे हजारों पुत्र हैं और सभी के प्रति मेरा समान प्रेम है। |
दीने च तनये देव, प्रकृत्याडइयाधिका कृपा। | परन्तु दुर्बल पुत्र के प्रति स्वाभाविक रूप से अधिक कृपा होती है। |
तथाप्यहमेतस्मिन् पुत्रे विशिष्य आत्मवेदनामनुभवामि। | फिर भी मैं इस पुत्र में विशेष अपनत्व अनुभव करती हूँ। |
यतो हि अयमन्येभ्यो दुर्बल:। | क्योंकि यह अन्य पुत्रों की अपेक्षा अधिक दुर्बल है। |
सर्वेष्वपत्येषु जननी तुल्यवत्सला एव। | सभी संतानों के प्रति माता समान प्रेम रखती है। |
तथापि दुर्बले सुते मातु: अभ्यधिका कृपा सहजैव” इति। | फिर भी दुर्बल पुत्र के प्रति माता की कृपा स्वाभाविक रूप से अधिक होती है। |
सुरभिवचनं श्रुत्वा भृशं विस्मितस्याखण्डलस्यापि हृदयमद्रवत्। | सुरभि के वचन सुनकर इन्द्र का हृदय भी पिघल गया। |
स च तामेवमसान्त्वयत्-” गच्छ वत्से! सवर्ं भद्रं जायते ।” | और उन्होंने उसे सांत्वना दी – “जाओ पुत्री! सब कुछ शुभ होगा।” |
अचिरादेव चण्डवातेन मेघरवैश्च सह प्रवर्ष: समजायत। | शीघ्र ही तेज़ हवाओं और बादलों की गर्जना के साथ वर्षा होने लगी। |
लोकानां पश्यताम् एव सर्वत्र जलोपप्लव: सञ्जात:। | लोगों के देखते ही देखते सब जगह जल भर गया। |
कृषक: हर्षातिरेकेण कर्षणविमुख: सन् वृषभौ नीत्वा गृहमगात्। | किसान अत्यधिक प्रसन्न होकर खेत जोतना छोड़कर बैलों को घर ले गया। |
अपत्येषु च सर्वेषु जननी तुल्यवत्सला। | सभी संतानों में माता समान प्रेम रखती है। |
पुत्रे दीने तु सा माता कृपार्द्रहृदया भवेत्॥ | परन्तु दीन पुत्र के प्रति वही माता अधिक कृपालु और संवेदनशील हो जाती है। |
व्याकरणिक विश्लेषण: class 10 sanskrit chapter 4 hindi translation
- कश्चित् कृषकः – पुल्लिंग एकवचन, कर्ता
- बलीवर्दाभ्यां – द्विवचन, तृतीया विभक्ति (करण कारक)
- कर्षणं कुर्वन् – वर्तमान कृदन्त, कर्ता का कार्य
- तोदनेन नुदन् – हांकना, पीड़ा देना
- वृषभः पपात – गिरे हुए बैल
- सुरभेः नेत्राभ्याम् अश्रूणि – नेत्रों से आँसू
- वात्सल्यं – मातृत्व प्रेम
- कृपार्द्रहृदया – करुणा से भरा हृदय
Easeedu Follow or comment which Chapter you are went next
Class 10th Sanskrit Chapter 3 Hindi Translation
Class 10th Sanskrit Chapter 2 Hindi Translation
Summary of Nelson Mandela Class 10
FAQs – class 10 sanskrit chapter 4 hindi translation
Q1. पाठ का मुख्य संदेश क्या है?
उत्तर: यह पाठ दर्शाता है कि माता सभी संतानों से समान प्रेम करती है, परन्तु दुर्बल संतान के प्रति उसकी करुणा स्वाभाविक रूप से अधिक होती है।
Q2. सुरभि कौन है?
उत्तर: सुरभि सभी गायों की माता है, जो अपने दुर्बल पुत्र की पीड़ा देखकर दुखी होती है।
Q3. इन्द्र ने सुरभि से क्या पूछा?
उत्तर: इन्द्र ने पूछा कि हजारों पुत्रों में भी तुम्हारा विशेष प्रेम इसी दुर्बल पुत्र में क्यों है।
Q4. किसान का व्यवहार कैसा था?
उत्तर: किसान क्रोधित होकर दुर्बल बैल को बार-बार पीड़ा देता है, जबकि वह चलने में असमर्थ होता है।
Q5. सुरभि ने इन्द्र को क्या उत्तर दिया?
👉 सुरभि ने कहा कि उसके हजारों पुत्र हैं और वह सभी से समान प्रेम करती है, लेकिन दुर्बल पुत्र के प्रति उसकी कृपा स्वाभाविक रूप से अधिक है।
Q6. सुरभि के वचन सुनकर इन्द्र की क्या प्रतिक्रिया थी?
👉 इन्द्र का हृदय पिघल गया और उन्होंने सुरभि को सांत्वना दी – “गच्छ वत्से! सर्वं भद्रं जायते।” अर्थात् “जाओ पुत्री! सब कुछ शुभ होगा।”
Q7. पाठ में वर्षा का क्या महत्व है?
👉 सुरभि की करुणा और इन्द्र की सहानुभूति के फलस्वरूप तेज़ हवाओं और बादलों की गर्जना के साथ वर्षा होती है, जिससे खेतों में जल भर जाता है और किसान प्रसन्न होकर बैलों को घर ले जाता है।
Q8. “जननी तुल्यवत्सला” का अर्थ क्या है?
👉 इसका अर्थ है – “माता सभी संतानों के प्रति समान प्रेम रखने वाली होती है।” लेकिन दुर्बल संतान के प्रति उसकी करुणा अधिक होती है।
Q9. पाठ में कौन-कौन से भाव प्रमुख हैं?
👉 वात्सल्य, करुणा, संवेदना, सहानुभूति, और मातृत्व के भाव इस पाठ में प्रमुख रूप से व्यक्त हुए हैं।
Q10. यह पाठ छात्रों को क्या सिखाता है?
👉 यह पाठ हमें सिखाता है कि हमें दुर्बल या असहाय प्राणियों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। सच्चा प्रेम समानता में है, लेकिन करुणा वहाँ अधिक होती है जहाँ आवश्यकता अधिक हो।