Class 10th Sanskrit Chapter 3 Hindi Translation

Class 10th Sanskrit Chapter 2 Hindi Translation

कक्षा 10 संस्कृत – पाठ 3: शिशुलालनम् | संस्कृत पंक्ति के साथ सरल हिंदी अनुवाद

पाठ परिचय

शिशुलालनम् का अर्थ है बालकों का लालन-पालन। यह पाठ कुन्दमाला नामक संस्कृत नाटक से लिया गया है, जिसे दिङ्नाग ने रचा है। इसमें भगवान श्रीराम अपने पुत्रों कुश और लव के प्रति स्नेह, वात्सल्य और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाते हैं। पाठ में संस्कार, विनय, गुरु-शिष्य परंपरा, आत्मग्लानि और रामायण की महत्ता को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है।

संस्कृत पंक्ति ➡️ हिंदी अनुवाद + व्याख्या

रामः सिंहासनस्थः। ततः प्रविशतः विदूषकेनोपदिश्यमानमार्गौ तापसौ कुशलवौ।

👉 श्रीराम सिंहासन पर बैठे हैं। तभी विदूषक के मार्गदर्शन में तपस्वी बालक कुश और लव प्रवेश करते हैं।

विदूषकः – इत इत आर्यौ।

👉 विदूषक – हे आर्य! इधर आइए।

कुशलवौ – (रामम् उपसृत्य प्रणम्य च) अपि कुशलं महाराजस्य?

👉 कुश-लव – (राम के पास जाकर प्रणाम करते हैं) क्या महाराज की कुशलता है?

रामः – युष्मद्दर्शनात् कुशलमिव।… अहो हृदयग्राही स्पर्शः।

👉 राम – तुम्हारे दर्शन से कुशलता का अनुभव हो रहा है। (गले लगाते हैं) अरे! कितना हृदय को छू लेने वाला स्पर्श है।

📚 व्याख्या: श्रीराम बच्चों के प्रति स्नेह और अपनत्व दिखाते हैं। वे केवल औपचारिकता नहीं, भावनात्मक जुड़ाव को महत्व देते हैं।

उभौ – राजासनं खल्वेतत्, न युक्तमध्यासितुम्।

👉 दोनों – यह राजा का सिंहासन है, हम यहाँ बैठने योग्य नहीं हैं।

रामः – सव्यवधानं न चारित्रलोपाय। तस्मादङ्क-व्यवहितमध्यास्यतां सिंहासनम्।

👉 राम – संकोच करना चरित्र का दोष नहीं है। मेरे समीप बैठो।

व्याख्या: श्रीराम बच्चों को सम्मान देते हैं और उन्हें अपने समीप बैठाकर अपनत्व दर्शाते हैं।

रामः – किं नामधेयम्?

👉 राम – तुम्हारा नाम क्या है?

लवः – लव इत्यात्मानं श्रावयामि।

👉 लव – मेरा नाम लव है।

कुशः – अहमपि कुश इत्यात्मानं श्रावयामि।

👉 कुश – मेरा नाम कुश है।

व्याख्या: दोनों बालक विनम्रता से अपना परिचय देते हैं।

रामः – किं नामधेयो भवतोर्गुरुः?

👉 राम – आपके गुरु का नाम क्या है?

लवः – ननु भगवान् वाल्मीकि।

👉 लव – हमारे गुरु भगवान वाल्मीकि हैं।

रामः – अहमत्र भवतोः जनकं नामतो वेदितुमिच्छामि।

👉 राम – मैं आपके पिता का नाम जानना चाहता हूँ।

लवः – न हि जानाम्यस्य नामधेयम्।

👉 लव – मैं नहीं जानता। कोई नाम नहीं लेता।

कुशः – जानाम्यहम्। निरनुक्रोशो नाम।

👉 कुश – उनका नाम ‘निर्दयी’ है।

व्याख्या: यह संवाद श्रीराम को भीतर तक झकझोर देता है। उन्हें अपने द्वारा सीता को वनवास देने का अपराध याद आता है।

रामः – धिङ् मामेवंभूतम्।… सवाष्पमवलोकयति।

👉 राम – धिक्कार है मुझे। सीता अपने बच्चों को मेरे अपराध के कारण ‘निर्दयी’ कहती है। (नेत्रों में आँसू)

व्याख्या: श्रीराम को अपने निर्णय पर पछतावा होता है। यह भावनात्मक मोड़ पाठ को गहराई देता है।

रामः – रामायणगानस्य नियोगः किमर्थं न विधीयते?

👉 राम – रामायण का गायन क्यों नहीं शुरू हुआ?

उभौ – उपाध्यायदूतः अस्मान् त्वरयति।

👉 दोनों – गुरु का दूत हमें जल्दी करने को कह रहा है।

व्याख्या: श्रीराम रामायण की महत्ता को स्वीकार करते हैं और गायन की अनुमति देते हैं।

FAQs – शिशुलालनम्

Q1. पाठ ‘शिशुलालनम्’ का मुख्य संदेश क्या है?

→ यह पाठ सिखाता है कि बच्चों के प्रति स्नेह, विनय और संस्कार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

Q2. कुश और लव के गुरु कौन थे?

→ भगवान वाल्मीकि।

Q3. ‘निर्दयी’ नाम सुनकर श्रीराम की क्या प्रतिक्रिया थी?

→ उन्हें आत्मग्लानि हुई और उन्होंने सीता के प्रति अपराधबोध महसूस किया।

Q4. पाठ में रामायण गायन का क्या महत्व है?

→ यह वाल्मीकि द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ है, जिसे श्रीराम स्वयं सुनना चाहते हैं।

परीक्षा उपयोगी प्रश्न

  1. कुश और लव ने अपना परिचय कैसे दिया?

  2. श्रीराम ने बच्चों को गोद में क्यों बैठाया?

  3. ‘निर्दयी’ नाम का प्रयोग किसने और क्यों किया?

  4. पाठ में गुरु-शिष्य परंपरा का वर्णन कैसे हुआ है?

  5. रामायण गायन की अनुमति श्रीराम ने क्यों दी?

निष्कर्ष

EaseEdu के अनुसार, शिशुलालनम् एक भावनात्मक और शिक्षाप्रद पाठ है जो छात्रों को संस्कार, आत्मग्लानि, गुरु-शिष्य परंपरा और रामायण की महत्ता को समझने में मदद करता है। यह पाठ परीक्षा में अक्सर पूछा जाता है और संस्कृत व्याकरण, अनुवाद कौशल और नैतिक शिक्षा के लिए बेहद उपयोगी है।