Class 8th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation

Class 8th Sanskrit Chapter 5 Hindi Translation

परिचय – गीता सुगीता कर्तव्या क्या है?

गीता सुगीता कर्तव्या कक्षा 8 संस्कृत पाठ्यपुस्तक का पाँचवाँ अध्याय है, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व को सरल भाषा में समझाया गया है। यह पाठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि छात्रों को जीवन के मूल्यों, कर्तव्य और आत्म-नियंत्रण की शिक्षा भी देता है। EaseEdu आपके लिए लाया है इस अध्याय का पूरा हिंदी अनुवाद, व्याकरणिक विश्लेषण और परीक्षा उपयोगी शब्दार्थ।

कक्षा 8 संस्कृत – अध्याय 5: गीता सुगीता कर्तव्या

श्लोक, पदच्छेद और हिंदी अनुवाद | EaseEdu हिंदी समाधान

(क)

संस्कृत मूलपाठ: कुरुक्षेत्रे श्रीगीता – जयन्ती – महोत्सवः आचरितः। तत्र बहवः जनाः अगच्छन् । रमेशः अपि स्वजनकेन सह तत्र गतवान्। कथावाचक : गीतायाः विषये वर्णयति स्म – गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रविस्तरैः । या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिःसृता ॥

पदच्छेद: गीता सुगीता कर्तव्या, किम् अन्यैः शास्त्रविस्तरैः, या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्मात् विनिःसृता।

हिंदी अनुवाद: गीता को अच्छे ढंग से पढ़ना चाहिए, अन्य ग्रंथों की आवश्यकता नहीं है। यह स्वयं भगवान पद्मनाभ (विष्णु) के मुख से निकली है।

(ख)

संस्कृत मूलपाठ: इदं श्रुत्वा रमेशः पितरम् अपृच्छत् – “पितः ! गीता का ? कथं सुगीता कर्तव्या?” पिता – पुत्र! बहुभ्यः वर्षेभ्यः पूर्वं कुरुक्षेत्रे कौरवाणां पाण्डवानां च मध्ये सङ्ग्रामः अभवत्। तस्मिन् युद्धे स्वबान्धवान् दृष्ट्वा अर्जुन : युद्धं कर्तुं न इच्छति स्म। तदा भगवान् श्रीकृष्णः युद्धपराङ्मुखम् अर्जुनं कर्तव्यपालनार्थम् उपदिष्टवान् । श्रीकृष्णस्य उपदेश: एव श्रीमद्भगवद्गीता अस्ति। गीतायाम् अमृततुल्याः उपदेशाः सन्ति ।

हिंदी अनुवाद: यह सुनकर रमेश ने अपने पिता से पूछा – “पिताजी! गीता क्या है? इसे अच्छे से क्यों पढ़ना चाहिए?” पिता ने उत्तर दिया – “बेटा! बहुत वर्षों पहले कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ था। उस युद्ध में अपने संबंधियों को देखकर अर्जुन युद्ध करने को तैयार नहीं था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्तव्य पालन के लिए उपदेश दिया। वही उपदेश श्रीमद्भगवद्गीता कहलाता है। गीता में अमृत के समान उपदेश हैं।”

(ग)

संस्कृत मूलपाठ: रमेश :- तर्हि सुगीता कर्तव्या इत्यस्य कः आशय : ? पिता- अस्य आशयः अस्ति यत् गीतायाः अभ्यासः सम्यक् रूपेण करणीयः । गीता उत्तमभावेन पठितव्या । कार्यक्षेत्रे जीवनक्षेत्रे च गीतायाः उपदेशाः अनुपालनीयाः । अस्मिन् पाठे वयं श्रीमद्भगवद्गीताया: काँश्चन श्लोकान् पठामः । वयं श्लोकान् मिलित्वा गायामः अपि ।

हिंदी अनुवाद: रमेश – तो “सुगीता कर्तव्या” का क्या आशय है? पिता – इसका आशय है कि गीता का अभ्यास अच्छे ढंग से करना चाहिए। गीता को उत्तम भाव से पढ़ना चाहिए। कार्य क्षेत्र और जीवन क्षेत्र में गीता के उपदेशों का पालन करना चाहिए। इस पाठ में हम श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक पढ़ते हैं और मिलकर गाते भी हैं।

श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक – पदच्छेद और हिंदी अनुवाद

(घ)

श्लोक: दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥१॥

पदच्छेद: दुःखेषु अनुद्विग्नमनाः, सुखेषु विगतस्पृहः, वीतराग-भय-क्रोधः, स्थितधीः, मुनिः, उच्यते।

हिंदी अनुवाद: जो व्यक्ति दुःख में विचलित नहीं होता, सुख में लालसा नहीं करता, राग, भय और क्रोध से मुक्त होता है—वह स्थिर बुद्धि वाला मुनि कहलाता है।

(ङ)

श्लोक: क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः। स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ॥२॥

पदच्छेद: क्रोधात् भवति सम्मोहः, सम्मोहात् स्मृतिविभ्रमः, स्मृतिभ्रंशात् बुद्धिनाशः, बुद्धिनाशात् प्रणश्यति।

हिंदी अनुवाद: क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है, भ्रम से स्मृति का नाश होता है, स्मृति के नाश से बुद्धि का विनाश होता है और बुद्धि के विनाश से व्यक्ति का पतन हो जाता है।

(च)

श्लोक: तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया। उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ॥३॥

पदच्छेद: तत् विद्धि प्रणिपातेन, परिप्रश्नेन, सेवया, उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानम्, ज्ञानिनः, तत्त्वदर्शिनः।

हिंदी अनुवाद: उस ज्ञान को विनम्रता, प्रश्न और सेवा के माध्यम से जानो। ज्ञानी और तत्वदर्शी व्यक्ति तुम्हें वह ज्ञान प्रदान करेंगे।

(छ)

श्लोक: श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति ॥४॥

पदच्छेद: श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्, तत्परः संयतेन्द्रियः, ज्ञानम् लब्ध्वा पराम् शान्तिम्, अचिरेण, अधिगच्छति।

हिंदी अनुवाद: श्रद्धा रखने वाला, इंद्रियों को नियंत्रित करने वाला व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करता है और ज्ञान प्राप्त करके शीघ्र ही परम शांति को प्राप्त करता है।

(ज)

श्लोक: अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च। निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी ॥५॥

पदच्छेद: अद्वेष्टा सर्वभूतानां, मैत्रः, करुणः एव च, निर्ममः, निरहङ्कारः, समदुःखसुखः, क्षमी।

हिंदी अनुवाद: जो सभी प्राणियों से द्वेष नहीं करता, मित्रवत और करुणामय होता है, ममता और अहंकार से रहित होता है, सुख-दुःख में सम रहता है—वह क्षमाशील होता है।

(झ)

श्लोक: सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः। मय्यर्पितमनोबुद्धिय मद्भक्तः स मे प्रियः ॥६॥

पदच्छेद: सन्तुष्टः सततम् योगी, यतात्मा, दृढनिश्चयः, मयि अर्पितमनोबुद्धिः, यः मद्भक्तः, सः मे प्रियः।

हिंदी अनुवाद: जो योगी सदा संतुष्ट रहता है, आत्मनियंत्रित और दृढ़ निश्चयी होता है, जिसकी बुद्धि और मन भगवान में अर्पित होते हैं—वह भक्त भगवान को प्रिय होता है।

(ञ)

श्लोक: यस्मान्नोद्विजते लोकः लोकान्नोद्विजते च यः। हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो यः स च मे प्रियः ॥७॥

पदच्छेद: यस्मात् न उद्विजते लोकः, लोकात् न उद्विजते च यः, हर्ष-अमर्ष-भय-उद्वेगैः मुक्तः यः, सः च मे प्रियः।

हिंदी अनुवाद: जिससे लोग भयभीत नहीं होते और जो स्वयं भी किसी से भयभीत नहीं होता, जो हर्ष, क्रोध, भय आदि से मुक्त होता है—वह भगवान को प्रिय होता है।

(ट)

श्लोक: अनुद्वेगकरं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत्। स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ्मयं तप उच्यते॥८॥

पदच्छेद: अनुद्वेगकरम् वाक्यम्, सत्यम्, प्रियहितम् च यत्, स्वाध्याय-अभ्यसनम् च एव, वाङ्मयम् तपः उच्यते।

हिंदी अनुवाद: जो वाणी किसी को दुख न पहुँचाए, सत्य, प्रिय और हितकारी हो, स्वाध्याय और अभ्यास से युक्त हो—वही वाणी का तप कहलाता है।

व्याकरण बिंदु (Grammar Highlights)

  • धातु प्रयोग: लभते (प्राप्त करता है), प्रणश्यति (नष्ट होता है), उपदेक्ष्यन्ति (उपदेश देंगे)
  • संधि-विच्छेद: विनिःसृता = वि + नि: + सृता
  • विशेषण-विशेष्य: स्थिरधीः मुनिः, श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्
  • वाच्य परिवर्तन: कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में रूपांतरण अभ्यास
  • समास: वाङ्मयम् तपः (बहुव्रीहि समास)

📌 महत्वपूर्ण शब्दार्थ (Vocabulary for Exams)

संस्कृत शब्द हिंदी अर्थ
सुगीता अच्छे से पढ़ी गई गीता
उपदिष्टवान् उपदेश दिया
स्थितधीः स्थिर बुद्धि
सम्मोहः भ्रम
श्रद्धावान् आस्था रखने वाला
वाङ्मयम् वाणी का तप
तत्त्वदर्शिनः तत्व को जानने वाले

 FAQs – Class 8 Sanskrit Chapter 5

Q1. गीता सुगीता कर्तव्या का क्या अर्थ है?

👉 इसका अर्थ है कि भगवद्गीता को अच्छे से पढ़ना और जीवन में अपनाना चाहिए।

Q2. इस पाठ में कौन-कौन से श्लोक हैं?

👉 इस पाठ में श्रीमद्भगवद्गीता के 8 प्रमुख श्लोक दिए गए हैं जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाते हैं।

Q3. परीक्षा के लिए कौन से शब्द महत्वपूर्ण हैं?

👉 सुगीता, स्थितधीः, श्रद्धावान्, सम्मोहः, वाङ्मयम् आदि शब्द विशेष ध्यान देने योग्य हैं।

Q4. EaseEdu कैसे मदद करता है?

👉 EaseEdu छात्रों को सरल अनुवाद, व्याकरणिक विश्लेषण और परीक्षा उपयोगी सामग्री प्रदान करता है।

निष्कर्ष – EaseEdu से सीखें संस्कृत सरलता से

Class 8 Sanskrit Chapter 5 – गीता सुगीता कर्तव्या न केवल एक पाठ है, बल्कि जीवन जीने की कला सिखाने वाला संदेश है। EaseEdu के साथ छात्र इस अध्याय को गहराई से समझ सकते हैं—श्लोकों का भाव, व्याकरण, और जीवन उपयोगी शिक्षा।